बलात्कार
दामिनी चली गयी
कामिनी चली गयी
कृपालिनी चली गयी
ना जाने कितनी?
जीवन प्रदायिनी चली गयी।
बहन लूट गयी
माँ भी लूट गयी
ना जाने कितनी?
बेटियाँ लूट गयी
इतना लूटा कि,
शस्त्रधारी नारी टूट गयी।
एफ़०आई०आर०
दर्ज कराती गयी
लखनऊ से दिल्ली तक गयी
न्याय की पुकार करते-करते
सदाचारी घुट गयी ।
सम्राट ने मुझे लूटा
ललाट मेरा फूटा
वकीलों से अपनी हालात कही
और अपने दिल की सारी बात कही
न्याय मांगने सुप्रीम कोर्ट गयी।
न्याय ना मिला तो,
इज्जत तार-तार भयी
कोई ना सुना तो,
खुलकर सारी बात कही
सुनो ऐ लोगों !
आज सती भी शिकार हुयी।
भारत की धरती से,
भारत की धरती पर
सीता अवहृत हुई
रावण ने तो कुछ न किया
पर राम के हाथों निष्कासित हुयी।
आज सर्वसत्ताधारी
सूर्य के समक्ष दीन हुयी
सूर्य से अधिक प्रकाशकारी
सूर्य के रहते मलीन हुयी।
थोड़ा-सा भी है तुझमें
यदि अपने देश का संस्कार
तो ठहर कर सोच जरा,
क्यों करता है बलात्कार ?