मेरे देश का कोना कोना

मेरे देश का कोई कोना,
अशिक्षित ना रह जाए।
मेरे देश का श्याम सलोना,
यूं जल मे ना बह जाए।

मेरे देश का कोई हिस्सा,
चंद हवाओं से ना ढह जाए।
मेरे देश का कोई किस्सा,
मंद बहावों मे ना बह जाए।

मेरे देश मे बहती गंगा,
यूं मैली ना हो जाए।
अरे सबका मैल धोने वाली
कहीं खुद ना मैली कहलाए।

मेरे देश की नारी सीता,
मर्यादा की नारी कहलाए।
अरे मर्यादा को पालने वाली,
कहीं न्याय से वंचित ना रह जाए।

ये वीरों की भूमि,
कहीं कायर न कहलाए।
अरे मातृ-भूमि पर मिटने वाला,
कहीं रण मे ना पीठ दिखाए।