बस अब और नही उर्मिल शर्मा बहुत हो चुका ऐ खुदाबस अब और नहीबहुत हो चुकी अब मेरी परीक्षाबस अब और नही।जन्म से लेकर मरण तकजीवन के हर पल हर कदम तकपरीक्षाओं का दौर नहीबहुत हो चुका ऐ खुदाबस अब और नही।हवस के शिकारीआते हैं नजरहर गली हर मोड़ परबेखौफ घूमे वोअब ये दौर नहीबहुत हो चुकाबस अब और नही।देना पड़ेगा उन्हें हरजानाकब तक सहन करेगा जमानाबहुत हो चुका ऐ खुदाबस अब और नही।