माँ के हाथों की रोटी

बहुत याद आती है
आज भी माँ के हाथों की रोटी
वो लीपा पुता चूल्हा
वो धोया पोंछा चौका
वो पीढी पर बैठ जाना
आटे के पेड़े बनाना
वो माँ की गोल रोटी
गर्मा गर्म खाना
बहुत याद आती है
वो माँ के हाथ की रोटी।

कभी चीनी कभी शक्कर भर
वह माँ का रोल बनाना
बड़े प्यार से हाथ में
पकड़ कर खिलाना
कभी पूरी कभी तो आधी
जबरदस्ती मुँह में खिलाना
मांगी बड़ी कभी छोटी
जैसी चाही माँ ने बना दी
बहुत याद आती है
माँ के हाथ की रोटी।