सिर्फ और सिर्फ सजना के लिए

करवा चौथ सबका प्रिय त्योहार
जो बढ़ाता है पति पत्नी में प्यार
हर औरत को रहता है इसका इंतजार
करती है इस दिन वो सोलह श्रृंगार
श्रृंगार इसलिए नहीं कि
उसे साज-सज्जा से प्यार है
श्रृंगार इसलिए नहीं कि
श्रृंगार उसका व्यवहार है
वो सजती है संवरती है
अपने सजना के लिए
भरती है मांग में सिंदूर
रचाती है हाथों में मेहंदी
पहनती है हाथों में चूड़ियां
पैरों में खनखनाती पायल
सिर्फ और सिर्फ सजना के लिए।

चाहती है हमेशा उसकी मांग सजी रहे
चाहती है चूड़ियां उसकी खनकती रहे
चाहती है पायल यूं ही बजती रहे
चाहती है बिंदिया यूं ही दमकती रहे
सिर्फ और सिर्फ सजना के लिए।

हो जाना चाहती है दुनिया से रुखसत
सजना से पहले सजना के लिए
ले लेना चाहती है सारी बलाएं
अपने ऊपर सजना के लिए
वह करती है सोलह श्रृंगार
सिर्फ और सिर्फ सजना के लिए।

मांगती है लंबी उम्र की दुआएं
चाहती है दूर रहे सारी विपदाएं
ले लेती है सब अपने ही ऊपर
सिर्फ और सिर्फ सजना के लिए।