हाँ…हूँ मैं औरत खुबसूरत नाजुक कल्पना सी जिसे हर कोई परखना चाहता है अपने अपने तरीके से सिखाना चाहता है जीवन जीना सलीके से सलीका ऐसा जिसे मर्द ने अपनाया नही है सलीका, सलीका जो औरतों के लिए ही है मैं औरत जिसे जिसने जैसा चाहा जीना सिखाया जिसने जैसा चाहा सलीका सिखाया मै वो सारा सलीका सीख गई मेरा भी है जीवन मेरा भी है अस्तित्व मै भूल गई मैं हूँ औरत। हाँ…हूँ मैं औरत।