कुछ नहीं मिलता फोकट, यह सब को पता है । दिल फिर भी नटखट, जो सदा कहानी रचता है । इश्क भी नहीं चटपट, कई रंग लापता हैं । अश्क आंखों में डट, बताया कि खता है । अम्बर से लेकर पनघट, कुछ नहीं सस्ता है । हर ओर है मरघट, बेसुरा राग आहिस्ता – आहिस्ता है । राहें भटकाव और कपट, वादा बस फरिश्ता है । दूर मंजिल है केवट, जिंदगी से वार्ता है । मछलियां नदी में छटपट, अंधेरे से वास्ता है । शिकारी के सब लटपट, मौसम भी अटपटा है ।