अधूरा

पल-पल जिज्ञासा बेशक अनुपम,
इश्क का प्याला टूटा,
दखल दाग हक़ एकदम,
सबक मोहक नाहक लूटा !
धुआं प्यासा महकती शबनम,
सनक,ख्वाहिश अधूरा छूटा,
दस्तक हवा का सरगम,
सच झूठ को कूटा !!
आग संग राख बेदम,
मृगतृष्णा में यादें खूंटा,
अनवरत चलना-फिरना अहम कसम,
अंतिम घड़ी लावारिस जूता ।
जिंदगी, मौत, दिलरूबा मौसम,
खामोशियां भी उत्तर बूटा ,
दर्पण,दर्शन और भ्रम,
बहका परिंदा क्यों रूठा?
निर्लोभ नहीं नदी हरदम,
साहिल पे आभास अनूठा,
सागर की लहरें बेशर्म,
युक्ति,मुक्ति वहीं गूंथा ।