देवियां

सुनो सुंदर देवियों वाक्या,
मनोरम है हठी झरना ।
भीगी जैसी छवियां तपस्या,
रोशनी क्यों है छोड़ना ?
मंदिर की घंटियां बेहया,
मांग पर सम्भव बजना ।
रिश्ता में है हया,
प्रीत भी और वासना ।
रस्म अदायगी है दया,
ख्वाहिश पूर्ति की साधना ।
कुछ तो अनमने जीया ,
कुछ बिगड़ा या बना ।
मंजर है मौसमी वेश्या ,
खता से शुरू वेदना ।
तिमिर का है क्या,
यकीन का क्या मुआयना??
मिट्टी का है दीया,
मना कहां था जलना???