ख्याल
रात तो होना कसर नहीं
फिर भी व्यापक उबाल है
अंधेरे से उजाले बेखबर नहीं
दुनिया भी बेशक इंद्रजाल है
ख्वाब बंजारे तो इधर नहीं
वैसे अपने-अपने अलग-अलग ख्याल हैं
इश्क प्रियतमा कोई ज़हर नहीं
जवाब से पहले सवाल है
दीवार और दीदार अमर नहीं
बहकी-बहकी बस चाल है
खोल खिड़कियां देखा पहर नहीं
पाया खडा कोई कंगाल हैं
हवा पहले कभी खंजर नहीं
दिया न यादगार मिसाल है
अब ठहरते कोई निडर नहीं
चूंकि वे तो मालामाल हैं
अकेले रहा हमसफ़र नहीं
अंदर-बाहर न कोई ढाल हैं
फूल और शूल सिकंदर नहीं
समंदर नदी से विशाल हैं
चिड़िया हेतु सिर्फ पिंजर नहीं
इसी कारण से बवाल है
नज़र उतारनेवाला बन्दर नहीं
सब हमारे बेताब जंजाल हैं
हकीकत में शहर शहर नहीं
नफ़रत की ओढ़े छाल है
आवारा मसीहा हेतु घर नहीं
दिन दुर्दिन बनाते काल हैं
धूल कोई है यायावर नहीं
नाटककार बनें हम नर कंकाल हैं
मिट्टी से अंग-प्रत्यंग तेरा पत्थर नहीं
मंहगाई में फिसल नया उछाल है
आग में रोटियां तो अगर-मगर नहीं
कुदरती मार तो बेमिसाल है
जलते होंठ आखिर नज़र नहीं
भोगी जिंदगी और लहू लाल-लाल है
धरा पर अवतरित अम्बर नहीं
मजदूरों के साथ टोकरी-कुदाल है
विश्राम पर विराम कबूतर नहीं
कुछ बेसुध हुआ ताल हैं।