गमगीन हूँ

गमगीन हूँ पर जताना नही आता है
किसी को यूँ ही बताना नही आता है।

गमगीन हूँ पर जताना नही आता है।

कोई समझ ना सका मेरे रंजो गम को
क्या करूँ कोई बहाना बनाना नही आता है।

गमगीन हूँ पर जताना नही आता है।

हंसता रहता हमेशा यूँ ही ऊपर से बस कभी
लोग समझे ये तो खुश है यूँ ही बस अभी।

गमगीन हूँ पर जताना नही आता है।

किसी ने उस हंसी के पीछे मेरे रंज न देखे
मैं घुटता रहा अंदर से मेरे जख्म न देखे।

गमगीन हूँ पर जताना नही आता है।

ना कोई दोस्त मिला कह कर कि हम भी तुम्हारे हैं
ना फ़िकर कर हम भी तुम्हारी तरह ग़म के मारे हैं।

गमगीन हूँ पर जताना नही आता है।

ये दुनिया अपने अपने ग़म का रोना रो रही है यही सच है
कोई नही है ‘राजन’ तू भी अपने ग़म छुपा ले यही सच है।

गमगीन हूँ पर जताना नही आता है।