अच्छे लोग

इस धरती पर अच्छे लोग हैं
पर कहाँ है
उम्मीद की एक किरण हो
वो कहाँ है।

हम उम्मीद क्यों करे किसी से
इस जहाँ में
कुछ तो स्वार्थ होता है ना
इस जहाँ में।

बंद दरवाजे हैं दस्तक कोई
सुनता नही है
अपने भी पराये हुऐ अब कोई
सुनता नही है।

कुछ अपनों के बिछड़ जाने से
सब पराये हो गये
इन्सानियत यहाँ खो गई
अब ‘राजन‘ अपने पराये हो गये।