दहशत

खामोशी है हर शहर गली में
सन्नाटा सा छाया हुआ है
हर तरफ दहशत का माहौल
हर कोई घबराया हुआ है।

इन्सान इन्सान से मिलने
से भी अब डरने लगा है
अपने हो कर भी अपनो
से मिल अब डरने लगा है।

भय की लकीरें हर चेहरे पर
खौफ सा अब दिखाई देता है
एक एक सांस कीमती है
ये मंजर हर तरफ दिखाई देता है।

जिस पर बीत रही है वही
ज़िन्दगी का मतलब समझता है
जो मौत सामने देख कर
मौत से जूझता, वही समझता है।

ना धन ना दौलत ना रुतबा
ना पद कुछ काम ना आये
एक अदद सांस की कीमत
अब इंसान को समझ आये।

सभी ‘राजन’ समझते थे
अपने को वो आज मजबूर हैं
हवा में ही जहर घुल रहा है
अब वही सांस लेते मजबूर हैं।