माँ

माँ का नाम आते ही सुख याद आते हैं
वो बचपन के सुहाने दिन याद आते है।

तेरे हाथो की बनाई रोटी जो कभी खाते थे
वो स्वाद मीठा पन ना जाने कहाँ से आते थे।

तू खुद भूखी रही होगी मै जानता हूँ
मुझे पेट भरके खिलाया मै जानता हूँ।

खुद गीले में सोई बच्चों को नही सुलाया तूने
सर्द रातो में अपनी बांहो का झूला झुलाया तूने।
तो तपती गर्मी की वो रात जागती गुजारी तूने
रात रात पंखा करके कभी आँचल बिछाया तूने।

तुझे कपड़े लेने थे अपने लिए पर दिल नही माना
बच्चो पर कौन से अच्छे लगेंगे कपड़े ये तूने जाना।

हर दुख तकलीफ सह कर जो मुस्कराती रहती है
इस दुनिया में बस एक ही है जो सबकी माँ होती है।

हम फकीर थे सबकी नज़रो में हमेशा ऐ माँ
तूने ‘राजन’ कह कह कर राजा बनाया ऐ माँ।