तौहीन कर गया

हद को छोड़कर पलकों के दामन पे आ गिरा

तेरा इश्क़ मेरे सब्र की तौहीन कर गया।

थी खामोश कब से ग़मों का समुन्दर लिए हुए

मेरा आँसू इस समुन्दर को नमकीन कर गया।

 

है समां तेरे इश्क़ का मेरे रूबरू मेरे हमनशीं

तसव्वुर में खो गया मेरा दिल तेरे अब जानशीं

तेरे प्यार का हर एक निशां ये समां गमगीन कर गया।

 

ये उदासियाँ, ये तन्हाईयाँ, ये इश्क़ की हैं निशानियाँ

तू दूर है जब से सनम, है दूर मुझसे मेरी परछाईयाँ

क्यों दिल मेरा ये इश्क़ का ज़ुर्म संगीन कर गया।

तेरा इश्क़ मेरे सब्र की तौहीन कर गया।