खो चुके हो

जब मैं खुद को खो चुकी थी

तब तुमने मुझको पाया था

मेरे अंदर की “सीमा“ से

परिचित मुझे कराया था

जब मैं खुद को भूल चुकी थी

तब तुमने याद दिलाया था।

 

खुद में सहमी, सिमटी सी

मैं खुद से ही बातें करती थी

इधर-उधर बेचैन नजर

खुद को ही खोजा करती थी

फिर बनके दोस्त जीवन में तुमने

हंसना मुझे सिखाया था,

मेरे दिल के ज़ख्मों को फिर

मैंने तुम्हे दिखाया था

उस दिन तुमने मुझको ही नही

मेरे दर्द को भी अपनाया था।

 

सच कहूं मैं बदलने लगी थी

प्यार के रंगों में मैं खिलने लगी थी

जीवन की राहों पर हँसकर चलना

यही सबक हर पल तुमने मुझे सिखाया था।

तुम ताकत थे मेरी

तुम जरुरत थे मेरी

तुमने हर पल साथ निभाया था

तुम हक़ीक़त थे मेरी।

अब जबकि मैं बदल गई थी

इस अँधेरे जीवन में एक बार फिर से

संभल गई थी

लेकिन अब जाने क्या हुआ

की तुम मुझसे दूर रहने लगे हो

तुम मुझे एक बार

फिर से बदलने को कह रहे हो

अब तुम्हे ये भावनाओं से भरी

सीमा अच्छी नहीं लगती

तुम चाहते हो मैं फिर से

पहले जैसी हो जाऊँ

अख्खड़, अकेली सीमा बन जाऊँ

 

मुश्किल होगी थोड़ी लेकिन

बन जाउंगी वैसी ही

तुम खुश हो न तो मैं भी खुश हूँ

बस अफ़सोस है

जिसे सिर्फ तुमने पाया था

आज उसे तुम खो चुके हो

खो चुके हो !!