शब्दों में मैंने बाँधा है

अपने प्यार में तुमने साजन
मुझको ऐसे बाँधा है,
झरते हैं भाव हृदय से तेरे
शब्दों में मैंने बाँधा है।

जब भी दर्पण की ओर निहारूँ
प्रेम से तेरे रूप सँवारू
नयनों में छवि दिखती तेरी
साँसों से तेरा नाम पुकारूँ
तेरे प्रेम में मैंने साजन
खुद को ऐसे साधा है।
झरते हैं भाव हृदय से तेरे
शब्दों में मैंने बाँधा है।

प्रेम हमारा ऐसा साजन
रस्म-रिवाज़ का न कोई बंधन
एक-दूजे के अप्रतिम प्रेम में
भीग रहें हैं अपने तन-मन
साजन तुम हो कृष्ण मेरे
रोम-रोम मेरा राधा है।
झरते हैं भाव हृदय से तेरे
शब्दों में मैंने बाँधा है।

तेरी साँसें हैं मेरी धड़कन
बना है तेरा मंदिर ये मन
प्रेम में खुद को किया समर्पित
एक-दूजे का बनकर “साजन ”
सम्पूर्ण हुए हम दोनों प्रीतम
ना हममेँ कोई अब आधा है।
झरते हैं भाव हृदय से तेरे
शब्दों में मैंने बाँधा है।

अपने प्यार में तुमने साजन
मुझको ऐसे बाँधा है,
झरते हैं भाव हृदय से तेरे
शब्दों में मैंने बाँधा है।