चाशनी सी ग़ज़ल

नग़मे कई प्यार के
मैंने तुझे हैं सुनाये सनम
तू भी कभी सुना दे मुझे
प्यार की एक कोई चाशनी सी ग़ज़ल।
नग़मे कई प्यार के…

मेरी कल्पनाओं में रंग तुझसे हैं
मेरी भावनाओं में शब्द तुझसे हैं
थामकर कभी हाथ मेरा सनम
तू भी छू ले कभी इन हवाओं के पर
पलकों पर हैं मेरी ठहरी नदियाँ कई
बूँद एक आँखों में
तुम भी अपनी भरो गंगाजल।
नग़मे कई प्यार के
मैंने तुझे हैं सुनाये सनम
तू भी कभी सुना दे मुझे
प्यार की एक कोई चाशनी सी ग़ज़ल।
नग़मे कई प्यार के…

हर सफ़र में तेरे हमसफ़र की तरह
चल रही मैं तेरे संग इक डगर की तरह
साथ मेरे कभी तू जो चले ऐ ! सनम
तुझको दिखने लगेंगे सपनों के नगर
दिल में है प्यार का आशियाना मेरे
तू भी दिल में कभी बना,
प्यार का एक महल
नग़मे कई प्यार के
मैंने तुझे हैं सुनाये सनम
तू भी कभी सुना दे मुझे
प्यार की एक कोई चाशनी सी ग़ज़ल।
नग़मे कई प्यार के…