हर शाम अब दर्द से गुजरती है मेरी, हर रोज़ सामना मौत से होता, फिर भी मेरी नज़रें हँसती लेकिन कभी-कभी ये दिल रोता।
टूट रही हूँ लम्हां -लम्हां हर पल मुझसे दिल ये कहता साँसें मेरी बोझल -बोझल साथ मेरे अँधेरा रहता।
उदासी का आलम सताने लगा तन्हाई से दिल अब घबराने लगा रौशनी की है अब ज़रूरत मुझे अँधेरा मुझे अब डराने लगा।
अगर हर पल साथ तेरा न होता तो जीवन मेरा यूँ उदास ही रहता तू है संग मेरे जब से हमसफर दर्द में भी अब मुस्कुराने लगी हूँ प्यार दिया है तूने मुझे इतना हर दर्द को भूल जाने लगी हूँ।