ज़िन्दगी मुझसे रूठ जाये न कहीं
मेरी साँसे मुझसे ये कहती हैं,
जो मौत से हर पल लड़ती हैं।
छूटने वाला है अब साथ अपनों का,
टूटने वाला है हर एहसास सपनों का।
ज़िस्म से रूह का धागा टूट जायेगा,
फ़रिश्ता मुझे नई दुनिया में ले जायेगा।
जहाँ हर लोग बेगाने हर आस टूटी है,
हर किसी से वहाँ उनकी ज़िन्दगी रूठी है।
जैसा हुआ यहाँ स्वागत,
वैसा वहाँ पर न होगा।
माँ का प्यार,दुलार,
माँ का वहाँ पर आँचल न होगा।
तन्हाई से दिल जब घबराने लगेगा,
न गोंद माँ की न माँ का दामन होगा।
ये अँधेरे मुझे अब डराने लगे हैं,
उम्मीदों के दीपक बुझाने लगे हैं।
साँसों की डोरी न टूट जाये कहीं,
साथ तेरा न अब छूट जाये कहीं।
आकर लगा लो गले मुझको तुम,
कि ज़िन्दगी मुझसे रूठ जाये न कहीं।