जाने क्यों दिल ये निधि चौधरी जाने क्यों दिल ये, मुस्कुराने लगा है,जब से तू जरा पास आने लगा है ।बादशाह बनें फिरते हैं, जमाने में हम,जो सनम अब, प्यार जताने लगा है ।जो मेरे हाथों में, हाथ डाला था तुमने,ये दिल मेरा, सारे ग़म भुलाने लगा है ।अब तलक, जीने का कोई बहाना न था,आज ये दिल, खुद पर इतराने लगा है ।बेवजह रो लिया करते थे, सूनी रातों में,आज दिल, बेवजह खिलखिलाने लगा है ।कांटों भरी ही थी, ज़िंदगानी थी अपनी,तेरे आने से अब, बहार आने लगा है ।गुनगुनाना भी भूल गया था, ये मन मेरा,देखो न, अब नगमें इश्क़ के गाने लगा है ।